सीरिया पर अमरीकी हमले के बाद तीन तरह की संभावनाएँ
रूसी विश्लेषकों ने सीरियाई सेना के वायुसैनिक अड्डे पर अमरीकी मिसाइल हमले के बाद घटनाओं के विकास की तीन तरह की संभावनाएँ बताई हैं।
पहली संभावना : रूस और अमरीका के बीच युद्ध
रूसी विशेषज्ञों ने इस संभावना से इनकार नहीं किया है कि अपने सामरिक सहयोगी सीरिया पर अमरीकी हमले के बाद रूस भी अपनी सैन्य ताक़त का प्रदर्शन कर सकता है। रूस के अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा समस्या अध्ययन संस्थान के विशेषज्ञ अलिक्सेय फ़िनेन्का ने कहा — अगर अमरीका इसी तरह का एक और हमला करेगा तो रूस अमरीकी क्रूज मिसाइलों को रास्ते में ही मारकर गिरा सकता है। फिलहाल रूस खुलेआम सीरिया में अपनी सैन्य ताक़त बढ़ा रहा है।
सीरियाई वायुसैनिक अड्डे पर अमरीकी हमले का रूस क्या जवाब देगा
रूस-भारत संवाद से बात करते हुए फ़िनेन्को ने कहा — 2013 से ही अमरीका सीरियाई सेना के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई करने की योजना बनाता रहा है। इसलिए पिछले बृहस्पतिवार की रात को अमरीका द्वारा किया गया मिसाइल हमला किसी बड़ी लड़ाई की शुरूआत भी हो सकता है। लेकिन यदि यह अनुमान सही उतरेगा तो देर-सवेर रूस भी अमरीका की इस ज़बरदस्ती का जवाब देने के लिए मजबूर हो जाएगा। इन दो महाशक्तियों के बीच टकराव का यह मतलब नहीं होगा कि विश्व स्तर पर कोई परमाणु युद्ध छिड़ जाएगा। यह लड़ाई 1936 से 1939 के बीच स्पेन में हुए गृहयुद्ध की तरह की भी हो सकती है। तब सोवियत वायुसेना के विमान इटली की फ़ासिस्ट सेना और जर्मनी की नाज़ीवादी सेना के ख़िलाफ़ युद्ध का ऐलान किए बिना ही स्पेन में कार्रवाइयाँ कर रहे थे।
अलिक्सेय फ़िनेन्का ने चेतावनी दी — लेकिन उसी समय यह भी हो सकता है कि लड़ाई के बीच में ही एटम बमों का इस्तेमाल भी कर लिया जाए। दोनों देशों के सैन्याधिकारी यह सोच सकते हैं कि इस समय इन सामरिक रणनीतिक हथियारों का इस्तेमाल करने की ज़रूरत है।
दूसरी संभावना : तनाव बढ़ने के बाद आपसी सन्तुलन
विश्लेषकों का कहना है कि अमरीका ने सीरिया पर हमला करते हुए रूस के साथ कोई सलाह-मशविरा नहीं किया और न ही इस बात पर ध्यान दिया कि इस मिसाइल हमले से रूस और अमरीका को लेकर सीरिया में क्या स्थिति पैदा होगी। जैसाकि रूस के हायर स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स के अन्तरराष्ट्रीय परिस्थिति सम्बन्धी विशेषज्ञ दिमित्री सूसलफ़ ने कहा — इससे ऐसा लगता है कि डोनाल्ड ट्रम्प की टीम फ़ौजी ताक़त के इस्तेमाल की अपनी एकतरफ़ा नीति पर कठोरता से अमल करेगी और बुश जूनियर की तरह अन्तरराष्ट्रीय कानूनों के पालन की तरफ़ कोई ध्यान नहीं देगी।
अमरीका सीरिया के राष्ट्रपति के बारे में अपना नज़रिया बदलकर कभी भी यह कोशिश करना शुरू कर देगा कि असद को जाना ही होगा। दूसरी तरफ़ रूस अपने सहयोगी को इतनी आसानी से छोड़ने पर सहमत नहीं होगा और सीरिया में अपनी सैनिक उपस्थिति को लगातार बढ़ाता चला जाएगा। अमरीका भी पीछे नहीं हटेगा। ट्रम्प यह चाहेंगे कि अमरीका कमज़ोर दिखाई नहीं दे, इसलिए वे ताक़त का इस्तेमाल करने को तैयार रहेंगे।
रूस सीरिया में क्यों लड़ रहा है?
इस परिस्थिति में यह स्थिति पैदा हो जाएगी कि सीरिया के सवाल पर रूस और अमरीका के बीच तनाव बढ़ता चला जाएगा। दिमित्री सूसलफ़ ने कहा — तब हम देखेंगे कि वैसा ही तनाव फिर से पैदा हो सकता है, जो 55 साल पहले क्यूबा की स्थिति को लेकर दिखाई दिया था, जब सोवियत संघ ने क्यूबा में अपने मिसाइल तैनात कर दिए थे और रूस और अमरीका एक-दूसरे से एटमी-युद्ध लड़ने के कगार पर पहुँच गए थे। लेकिन तब लड़ाई से बचना संभव हो गया था। रूस ने क्यूबा में लगे अपने मिसाइल हटा लिए थे, जिसके बदले में अमरीका ने तुर्की में तैनात अपने मिसाइल हटाए थे।
तीसरी संभावना : राजनयिक बातचीत का रास्ता
लेकिन सभी विश्लेषकों का ऐसा मानना नहीं है कि सीरिया में रूस अमरीका से भिड़ने के लिए तैयार है। स्वतन्त्र रणनीतिक मूल्यांकन संस्थान के अध्यक्ष अलिक्सान्दर कनवालफ़ ने कहा — रूस ने अमरीकी हमले के ख़िलाफ़ अभी तक जो कार्रवाई की है, बस, रूस वहीं पर रूक जाएगा, यानी रूस और अमरीका के बीच सुरक्षित उड़ानों के बारे में एक-दूसरे को जानकारी देने के बारे में जो सहमति हुई थी, रूस उस सहमति को नकार चुका है, इसके अलावा रूस दूसरे कोई क़दम नहीं उठाएगा। कनवालफ़ का मानना है कि रूस सीरिया में अपनी सैनिक ताक़त को भी नहीं बढ़ाएगा क्योंकि अमरीका ने सीरिया के ख़िलाफ़ कोई लड़ाई शुरू नहीं की है, बस, एक बार सैन्य हमला किया है।
कुछ भी हो, लेकिन रूस सँयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसी अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं में इस सवाल को ज़रूर उठाएगा कि अमरीका ने एक सार्वभौम देश के खिलाफ़ हमला किया है। रूस अमरीका से कहेगा कि उसे सीरिया में रासायनिक बम के इस्तेमाल की जाँच के सवाल पर बातचीत करनी चाहिए। लेकिन सवाल यही पैदा होता है कि क्या अमरीका रूस के इन इशारों को समझेगा और उनका उचित जवाब देगा।
रूस के एशिया अध्ययन संस्थान के विशेषज्ञ व्लदीमिर सोतनिकफ़ ने कहा कि अब दो देशों के रिश्ते बहुत-कुछ उस बातचीत पर निर्भर करेंगे, जो अमरीकी विदेशमन्त्री रेक्स टिल्लेरसन की जल्दी ही होने जा रही रूस यात्रा के दौरान होगी। रूस-भारत संवाद से बात करते हुए उन्होंने कहा — एक तरफ़ तो टिल्लेरसन को सीरिया पर मिसाइल हमला करने के ट्रम्प के फ़ैसले की सफ़ाई देनी होगी, दूसरी तरफ़ रूस के साथ सहयोग को बनाए रखने की भी कोशिश करनी होगी। सोतनिकफ़ ने कहा — सीरियाई संकट में हस्तक्षेप करते हुए अमरीका सीरिया में उपस्थित रूस से सम्पर्क किए बिना नहीं रह सकता। अमरीका को सीरिया के सवाल पर रूस के साथ अपनी नीतियों का मिलान करना ही होगा।
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