तमिलनाडु में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रूस का पहला निवेश
विगत 17 मार्च को रूस के संयुक्त उद्यम मियोता पावर इण्डिया और चेन्नई की कम्पनी अल अमीन ग्रीन एनर्जी के बीच तमिलनाडु के विरुदुनगर में सौ मेगावाट क्षमता का एक सौर बिजलीघर लगाने के बारे में समझौता हुआ है। रूस की मियोता पावर इण्डिया इस परियोजना में लगभग 8 करोड़ अमरीकी डालर का निवेश करेगी। इस समझौते से अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में रूस और भारत के बीच आपसी सहयोग को एक नई ऊँचाई मिली है।
चेन्नई में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय इंजीनियरी स्रोत प्रदर्शनी के अवसर पर निवेश, इंजीनियरी, प्रबन्धन व निर्माण के इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए। तमिलनाडु में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रूस की ओर से यह पहला निवेश है। रूस के व्यापार मन्त्री दिनीस मन्तूरफ़ तथा भारत की वाणिज्य राज्य मन्त्री निर्मला सीतारमण की उपस्थिति में मियोता पावर के अध्यक्ष आलोक कुमार और अल अमीन ग्रीन एनर्जी के अध्यक्ष मो० बशीर अहमद ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
भारत में सौर ऊर्जा के विकास में रूसी सहयोग
कम्पनियों के अनुसार, यह परियोजना 2017 के अन्त तक पूरी कर दी जाएगी, हालाँकि इसे चार चरणों में कार्यान्वित किया जाएगा। पहले चरण में 25 मेगावाट, दूसरे में 15 मेगावाट और तीसरे चरण में 9 मेगावाट बिजली उत्पादन का काम पूरा किया जाएगा। शेष 51 मेगावाट क्षमता का काम चौथे चरण में किया जाएगा। राष्ट्रीय विद्युत वितरण प्रणाली से इस बिजलीघर को जोड़ने का काम भी चरणबद्ध तरीके से ही होगा।
मियोता पावर के अध्यक्ष आलोक कुमार और अकीस टेक लिमिटेड के अध्यक्ष मो० बशीर अहमद। स्रोत : Ksenia Kondratieva / null
तमिलनाडु में पिछले कई सालों से बिजली की भारी किल्लत चल रही थी। किन्तु पिछले साल यहाँ खपत से 11 अरब 64 करोड़ 90 लाख यूनिट अधिक बिजली का उत्पादन हुआ और इस तरह केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार खपत से अधिक विद्युत उत्पादन के मामले में तमिलनाडु ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक को पीछे छोड़ दिया।
मियोता पावर रूस की सरकारी कम्पनी मीननेफ़्तेगाज़स्त्रोय तथा रूस की ही एक और कम्पनी अकीस टेक लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है। मीननेफ़्तेगाज़स्त्रोय कम्पनी पाइपलाइनों, तेल व गैस शोधन कारखानों और अन्य औद्योगिक कार्यस्थलों के निर्माण में विशेषज्ञ मानी जाती है, जबकि अकीस टेक लिमिटेड विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में परियोजना विकास, निवेश, परिचालन और प्रबन्धन सम्बन्धी सेवाएँ प्रदान करती है।
भारत में नवीनतम रूसी सौर पैनलों का उत्पादन होगा
तमिलनाडु की यह परियोजना भारत में मियोता पावर की कोई पहली परियोजना नहीं है। भारत में 2015 से ही मियोता पावर अनेक परियोजनाओं पर काम करती आ रही है, जिनकी कुल अनुमानित क्षमता लगभग 5 सौ मेगावाट है। मार्च 2016 में मियोता पावर ने हरियाणा सरकार के साथ सौ मेगावाट क्षमता की एक सौर ऊर्जा परियोजना से जुड़े सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस परियोजना में 9 करोड़ अमरीकी डालर का निवेश किया जाएगा। यह परियोजना भी राष्ट्रीय विद्युत वितरण प्रणाली से जुड़ी होगी।
फरवरी 2017 में मियोता पावर ने सौर पैनलों के निर्माण में उपयोग होने वाली बैटरियों के उत्पादन के लिए झारखण्ड के साथ भी एक निवेश अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किए थे। यह परियोजना आगामी छह महीनों में पूरी हो जाएगी।
आलोक कुमार के अनुसार भारत की राज्य सरकारों और निजी कम्पनियों के साथ मियोता पावर द्वारा किए गए इन समझौतों को रूसी ऊर्जा एजेन्सी और भारतीय सौर ऊर्जा निगम के बीच दिसम्बर 2015 में हस्ताक्षरित समझौते के व्यावहारिक क्रियान्वयन के रूप में देखा जा सकता है।
वैसे अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सरकारी स्तर पर रूस और भारत के बीच आपसी सहयोग काफी सुस्त रहा है। हालाँकि विशाल स्तर के अनेक सौर बिजलीघरों के लिए सरकारी एजेन्सियों ने सहमति-पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं, किन्तु उसके बावजूद प्रायोगिक परियोजना अभी भी ’योजना के चरण’ में ही अटकी पड़ी है, जिसके कारण रूस भारत के सौर ऊर्जा बाज़ार में उपस्थिति दर्ज करा चुके देशों की श्रेणी में अमरीका, जापान और यूरोप से पीछे छूट गया है।
मीननेफ़्तेगाज़स्त्रोय के सहयोग से भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करने के अलावा मियोता पावर ने सौर प्रकाशवोल्टीय पैनलों का मिलकर उत्पादन करने के लिए रूस के हेविल समूह के साथ समझौता किया है। इन पैनलों की बिक्री भारत में ही की जाएगी। उल्लेखनीय है कि हेविल समूह रेनोवा समूह और ’रूसनानो’ की सँयुक्त कम्पनी है। मियोता पावर ने भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं में सह-निवेश के लिए रूस के सौर प्रबन्धन समूह के साथ भी समझौता किया है।
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