क्या डोनाल्ड ट्रम्प रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी के झाँसे में फँसे होंगे?
डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में ब्रिटिश ख़ुफ़िया विभाग के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज़ में, जो अमरीकी ख़ुफ़िया विभाग ने राष्ट्रपति ओबामा के नाम भेजी गई एक रिपोर्ट में नत्थी किया है, यह बताया गया है कि रूसी सरकार पिछले कई साल से डोनाल्ड ट्रम्प की सहायता और समर्थन कर रही थी। इसी दस्तावेज़ में यह भी बताया गया है कि रूसी ख़ुफ़िया एजेंसियों के पास डोनाल्ड ट्रम्प का कोई आपत्तिजनक विडियो भी है, जो वर्ष 2013 में बनाया गया था। इस विडियो में डोनाल्ड ट्रम्प मस्क्वा के एक पाँचसितारा होटल में वेश्याओं के साथ रंगरेलियाँ मना रहे हैं और यौन सम्बन्ध स्थापित कर रहे हैं।
आपत्तिजनक विडियो की बात – मूर्खतापूर्ण
हालाँकि यह बात सामने आ चुकी है कि यह रिपोर्ट ग़लत है, लेकिन फिर भी मीडिया ने इस विषय को जमकर उछाला है। इस सिलसिले में रूस-भारत संवाद ने जिन रूसी विशेषज्ञों से बात की, उन सभी का कहना है कि रूसी ख़ुफ़िया एजेन्सियों के पास इस तरह का कोई विडियो हो या न हो, लेकिन ट्रम्प के ख़िलाफ़ इस तरह की रिपोर्ट को प्रसारित करना ही राष्ट्रपति ओबामा की अपने जाने से पहले डोनाल्ड ट्रम्प को बदनाम करने की एक और राजनीतिक कोशिश है। रूसी ख़ुफ़िया एजेन्सी एफ़एसबी (फ़ेडरल सिक्योरिटी ब्यूरो) के एक पूर्व उच्चाधिकारी अलिक्सान्दर मिख़ाइलफ़ ने रूस-भारत संवाद से कहा — मस्क्वा के साथ रिश्तों के सवाल पर नए अमरीकी नेता के मन में सन्देह पैदा करने के लिए यह कोशिश की गई है।
राष्ट्रपति ट्रम्प से किसी चमत्कार की आशा नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का कोई विडियो है — यह जानकारी भी अपने आप में बड़ी बेतुकी जानकारी है क्योंकि इस तरह की सूचनाएँ ख़ुफ़िया एजेंसियों द्वारा सात तालों में बन्द करके रखी जाती हैं और उनके बारे में किसी को कोई ख़बर नहीं होती।
डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में ब्रिटिश ख़ुफ़िया विभाग के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज़ में कहा गया है कि मानों रूस की सरकार के किसी अधिकारी ने डोनाल्ड ट्रम्प के कान में इस तरह का गुप्त विडियो होने की बात डाल दी है कि इस विडियो का इस्तेमाल उनके ख़िलाफ़ किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि डोनाल्ड ट्रम्प को यह जानकारी उनके राष्ट्रपति चुने जाने से पहले ही दे दी गई थी। यह बात तो और भी अजीब लगती है।
ख़ास नज़र
उसी समय एफ़एसबी (फ़ेडरल सिक्योरिटी ब्यूरो) के पूर्व उच्चाधिकारी अलिक्सान्दर मिख़ाइलफ़ इस बात से इंकार नहीं करते कि हो सकता है कि रूसी ख़ुफ़िया एजेन्सियों के पास डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में सचमुच कोई जानकारी हो। लेकिन उस जानकारी का इस्तेमाल ट्रम्प को ब्लैकमेल करने के लिए किया जा सकता है या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि ख़ुफ़िया एजेंसियाँ आम तौर पर किसी को ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से कोई भी जानकारी इकट्ठा नहीं करतीं। यह जानाकारी तो सामान्य तौर पर ही जमा की जाती है। हाँ, कभी-कभी ऐसी कोई जानकारी ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ लग जाती है, जिससे किसी को ब्लैकमेल किया जा सकता है। यह बात भी सच है कि जब किसी देश के लिए महत्वपूर्ण किसी ख़ास नेता पर ख़ास तौर पर नज़र रखी जाती है तो ऐसी सामग्रियाँ भी विशेष तौर पर जुटाई जाती हैं, जिनसे उसे ब्लैकमेल किया जा सके। रूसी ख़ुफ़िया एजेंसियाँ इस तरह की जानकारी उन लोगों के ख़िलाफ़ जुटाती हैं, जिन्हें रूस के साथ सहयोग करने के लिए बाध्य करना चाहती हैं। लेकिन आम तौर पर इसके लिए मानव के स्वभाव, उसकी पसंद और नापसंद, उसकी शक्ति और कमजोरियों से जुड़ी जानकारियाँ इकट्ठी की जाती हैं।
इस तरह की जानकारियाँ इकट्ठी करने के लिए सार्वजनिक स्रोतों का इस्तेमाल किया जाता है और गुप्तचरी के परम्परागत तरीके भी अपनाए जाते हैं। यह भी कोई रहस्य की बात नहीं है कि ज़रूरी जानकारियाँ एकत्र करने के लिए ख़ुफ़िया एजेंसियाँ हैकरों का भी इस्तेमाल करती हैं। दुनिया के सभी शक्तिशाली देशों की ख़ुफ़िया एजेंसियाँ इस सिलसिले में अपने साइबर विभागों को मज़बूत कर रही हैं। पिछले कुछ महीनों से अमरीकी डेमोक्रेटिक पार्टी के सर्वरों में सेंध लगाने का हल्ला यूँ ही नहीं मचा हुआ है।
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चूहेदानियों में लगी मिठाई
ख़ुफ़िया एजेंसियाँ किसी को फँसाने के लिए ऐसी चूहेदानियों का भी ख़ूब इस्तेमाल करती हैं, जिनमें मिठाई के टुकड़े लगे होते हैं। इस तरह लालच में फँसकर लोग ख़ुफ़िया एजेंसियों के झाँसे में आ जाते हैं।
रूस-भारत संवाद से बातचीत करते हुए सोवियत ख़ुफ़िया एजेंसी केजीबी के एक पूर्व अधिकारी और ख़ुफ़िया एजेंसियों के इतिहासकार वलेरी मल्योवनी ने बताया कि कभी सोवियत संघ, पूर्वी जर्मनी और अमरीका में ऐसे ख़ुफ़िया विभाग भी बने हुए थे, जिनमें ख़ूबसूरत महिला जासूस काम किया करती थीं, जो ज़रूरी लोगों से दोस्ती गाँठकर उनसे ज़रूरी सूचनाएँ निकाला करती थीं। लेकिन वलेरी मल्योवनी का मानना है कि ट्रम्प के साथ उनकी 2013 की मस्क्वा यात्रा के समय इस तरह का तरीका नहीं अपनाया गया होगा। उन्होंने कहा — ट्रम्प की अपनी सुरक्षा व्यवस्था है, जो सन्देहास्पद लोगों पर नज़र रखती है और उन्हें चैक करती है। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि आज के इलैक्ट्रोनिक युग में जब ऑडियो-विडियो की आधुनिकतम सुविधाएँ उपलब्ध हैं, किसी भी तरह की सुरक्षा व्यवस्था आपकी जासूसी करने से नहीं रोक सकती है। सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से निरापद नहीं हो सकती। आपकी बातचीत तो कभी भी रिकार्ड की जा सकती है... और वह बातचीत ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ भी लग सकती है।
एफ़एसबी (फ़ेडरल सिक्योरिटी ब्यूरो) के पूर्व उच्चाधिकारी अलिक्सान्दर मिख़ाइलफ़ ने कहा — अमरीकी राष्ट्रपति के सामने रखी गई रिपोर्ट में जिन तथ्यों की बात की गई है, वे सचमुच हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह घटना अमरीका में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने से पहले की है। डोनाल्ड ट्रम्प धन्नासेठ आदमी हैं, उनके लिए इसमें अस्वाभाविक कुछ नहीं है। हो सकता है कि ख़ुफ़िया एजेंसियों ने वास्तव में कोई ऐसी जानकारी रिकार्ड कर ली हो, जिसे सामाजिक शिष्टाचार और आचार-व्यवहार की दृष्टि से अच्छा नहीं माना जाता।
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